
वाशिंगटन। फ्रांस फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस फैसले ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। गाजा में जारी युद्ध और वहां भूख से मरते लोगों की बढ़ती त्रासदी के बीच यह फैसला शांति के लिए उम्मीद की एक नई किरण भी माना जा रहा है। एक्स पर मैक्रों ने लिखा, गाजा में युद्ध का रुकना और आम नागरिकों की जान बचाना आज सबसे जरूरी है। फ्रांस अब फिलिस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता देगा। इस आशय की घोषणा दुनिया के सबसे बड़े कूटनीतिक मंच संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस सितंबर होने की संभावना है।
इस मामले में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा, यह फैसला आतंकवाद को इनाम देने जैसा है। एक फिलिस्तीनी राज्य, वर्तमान हालातों में, इजरायल के खिलाफ हमले की जमीन बन सकता है। वहीं हमास ने इस कदम का स्वागत किया। उसने कहा, ‘हमारे उत्पीडि़त लोगों के लिए न्याय पाने और उनके आत्मनिर्णय के वैध अधिकार का समर्थन करने और उनके सभी कब्जे वाले क्षेत्रों पर एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में सकारात्मक कदम है।
वहीं फिलिस्तीनी प्राधिकरण ने मैक्रों के फैसले का स्वागत किया है। दूसरी ओर, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को गुरुवार को आधिकारिक पत्र सौंपा गया। पीएलओ के उपाध्यक्ष हुसैन अल शेख ने मैक्रों को धन्यवाद देते हुए कहा, यह फैसला अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति फ्रांस की प्रतिबद्धता और फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन है।
140 से ज्यादा देश दे चुके हैं मान्यता
यह फैसला भले ही प्रतीकात्मक हो, लेकिन इसके मायने बहुत गहरे हैं। यूरोप के सबसे प्रभावशाली देशों में से एक फ्रांस का यह कदम इजरायल पर कूटनीतिक दबाव को और बढ़ाता है। 140 से अधिक देश पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं, लेकिन फ्रांस अब तक का सबसे बड़ा पश्चिमी देश है जो ऐसा कर रहा है। इससे इजरायल खुश नहीं है।
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