
नई दिल्ली। आयुर्वेद के अनुसार, हर काल के दौरान शरीर की प्रकृति और पाचन शक्ति बदलती है, इसलिए उसी के अनुरूप भोजन का चुनाव करना लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद में दिन को अलग-अलग काल में बांटकर खानपान तय करने की परंपरा है, ताकि पाचन तंत्र सक्रिय रहे और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे। यह विभाजन तीन मुख्य दोषों कफ, पित्त और वात के आधार पर किया गया है। सही समय पर सही भोजन से ऊर्जा संतुलित रहती है, जबकि गलत समय पर अनुचित आहार लेने से पेट की समस्याएं, थकान, आलस और वजन बढऩे जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। सुबह 6 से 10 बजे का समय कफ काल का होता है। सुबह का समय कफ काल कहलाता है, जब शरीर स्वभाव से भारी और ठंडा रहता है। इस समय दिन की शुरुआत गुनगुने पानी, त्रिफला जल या सादा पानी से करना चाहिए।
आयुर्वेद विशेषज्ञों का कहना है कि पपीता, सेब, अंजीर जैसे हल्के और आसानी से पचने वाले फल ऊर्जा प्रदान करते हैं और पाचन को सक्रिय करते हैं। एक चुटकी शहद या हल्का पंचकर्म ड्रिंक भी लाभकारी है। इस समय दूध, तली-भुनी और भारी चीजों से बचना चाहिए, क्योंकि ये पाचन को सुस्त कर सकती हैं और आलस बढ़ा सकती हैं। सुबह 10 से दोपहर 2 बजे का समय पित्त काल का होता है। यह दिन का वह समय है जब पाचन अग्नि सबसे तेज होती है और शरीर पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित कर सकता है। इस दौरान रोटी, दाल, मौसमी सब्जियां, चावल और घी वाला संतुलित भोजन सबसे उपयुक्त है। गुनगुना पानी पीना पाचन में सहायक है। दही, खट्टे फल और मीठी ड्रिंक से बचना चाहिए, खासकर गर्मियों में, ताकि पाचन में असंतुलन और पेट की तकलीफ न हो। यह दिन का मुख्य भोजन होना चाहिए, जो शाम तक ऊर्जा बनाए रखे। दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक का समय हल्के स्नैक्स का है। दोपहर बाद ऊर्जा में कमी महसूस होती है, इसलिए इस समय हल्के और पचने में आसान स्नैक्स लेना फायदेमंद है।
कब क्या खाना है, इसका ज्ञान जरूरी
सौंफ, धनिया या जीरे की हर्बल चाय पाचन को सहारा देती है और थकान दूर करती है। भिगोए हुए बादाम, अखरोट या अन्य ड्राई फ्रूट्स से अच्छे फैट और प्रोटीन मिलते हैं। इस समय फल खाने से बचना बेहतर है, क्योंकि यह गैस और पाचन संबंधी परेशानी बढ़ा सकता है। शाम को भारी नाश्ता करने के बजाय भुना हुआ चना या स्प्राउट्स अच्छा विकल्प है। यह प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स का स्रोत है, जो रात के खाने तक भूख नियंत्रित रखता है। इस समय तली-भुनी और मसालेदार चीजों से दूरी बनाना चाहिए, ताकि पाचन प्रभावित न हो। वहीं रात 8 से 10 बजे तक का समय हल्का डिनर का है। आयुर्वेद रात का खाना हल्का और जल्दी करने की सलाह देता है। खिचड़ी, मूंग दाल का सूप या स्टीम्ड सब्जियां इस समय के लिए आदर्श हैं। भारी, मसालेदार या तैलीय भोजन रात में पाचन को धीमा कर देता है और नींद पर नकारात्मक असर डाल सकता है। हल्का डिनर लेने से शरीर को रिपेयर और रिकवरी में मदद मिलती है, जिससे अगली सुबह ताजगी महसूस होती है।
More Stories
आईवीएफ प्रक्रिया से पैदा बच्चे स्वस्थ, रोगमुक्त और समझदार होंगे?
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए है वरदान भद्र-आसन
योग अभ्यास से घटेगा वजन, हर दम रहेंगे स्वस्थ्य-ऊर्जावान