
समोसा स्वाद के मामले में जितना लाजवाब है, पाचन के लिहाज़ से उतना ही भारी भी। भारत में चाय के साथ समोसा का चटपटा स्वाद लोगों को इतना भाता है कि रोज़ाना इसकी आदत सी बन जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक छोटा सा समोसा पूरी तरह पचने में 6 से 8 घंटे तक का समय लेता है। इसकी मुख्य वजह है इसमें इस्तेमाल होने वाला मैदा, तेल और आलू, जो पेट में लंबे समय तक ठहरते हैं और पाचन को धीमा कर देते हैं।
खासकर जब कोई व्यक्ति एक साथ दो-तीन समोसे खा लेता है, तो उसका पाचन तंत्र दिनभर इससे जूझता रहता है। मैदा, जो एक रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट है, उसमें फाइबर नहीं होता, जिससे यह आंतों में चिपचिपा बनावट पैदा करता है। ऊपर से बार-बार गर्म किए गए तेल में तला गया समोसा ट्रांस फैट से भरपूर होता है, जो गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं बढ़ाता है। पहले से पाचन संबंधी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए तो समोसा और भी नुकसानदायक हो सकता है। खाली पेट समोसा खाना तो और भी नुकसान पहुंचा सकता है।
भारी, तली हुई चीज को तब खाना चाहिये जब पेट खाली हो। पाचन एंजाइम्स पर अतिरिक्त दबाव डालता है और इससे पेट का भारी लगना, फूलना या मरोड़ जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, धीमी पाचन क्रिया की वजह से शरीर ऊर्जा कम बनाता है और अतिरिक्त कैलोरी को फैट के रूप में जमा करने लगता है। क्या इसका मतलब है कि समोसा खाना ही छोड़ देना चाहिए? बिलकुल नहीं। लेकिन रोज़-रोज या ज़्यादा मात्रा में खाने से परहेज़ करना चाहिए। अगर कभी-कभी समोसा खाना हो, तो बेहतर है कि उसे घर पर कम तेल में सेंका जाए और मैदे की जगह आटे का उपयोग किया जाए।
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