
मॉस्को। अलास्का समिट से पूर्व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का परमाणु (न्यूक्लियर) हथियारों के नियंत्रण पर बातचीत का प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो यूके्रन संकट पर केंद्रित होने वाली शिखर बैठक का एजेंडा बदल सकता है। यह एक रणनीतिक दांव माना जा रहा है, जिसमें पुतिन कई उद्देश्यों को एक साथ साधना चाहते हैं।
दरअसल, पुतिन ने परमाणु हथियारों के नियंत्रण का मुद्दा उठाकर एक साथ कई संदेश दिए हैं। यह दांव केवल परमाणु हथियारों के बारे में नहीं है, बल्कि यह यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका और दुनिया के सामने अपनी स्थिति को मजबूत करने की एक रणनीति है। इस समिट का उद्धेश्य यूक्रेन में शांति स्थापित करना माना जा रहा है। पुतिन ने परमाणु हथियारों के नियंत्रण का मुद्दा उठाकर इस एजेंडे को विस्तृत और जटिल कर दिया है। वे यह दिखाना चाहते हैं कि रूस केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं है, बल्कि वह वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर भी बात करने को तैयार है। यदि समिट में चर्चा परमाणु हथियारों पर केंद्रित होती है, तब यूक्रेन को लग सकता है कि उसका मुद्दा प्राथमिकता से हट रहा है।
पुतिन ने ट्रंप को एक ऐसा अवसर दिया है, जिससे वह अमेरिका में अपनी छवि एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में पेश कर सकें। अगर ट्रंप परमाणु नियंत्रण पर कोई ठोस कदम उठा पाते हैं, तब यह उनके लिए एक बड़ी राजनयिक जीत होगी। लेकिन साथ ही, यह एक चुनौती भी है कि वह यूक्रेन के मुद्दे को किनारे न जाने दें। ट्रंप के लिए यह एक संतुलन बनाने जैसा है, जहां उन्हें दोनों मुद्दों को एक साथ संभालना होगा। पुतिन यह संदेश देना चाहते हैं कि रूस एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति है और हथियारों की होड़ को रोकना चाहता है। यह उनकी छवि को सुधारने और पश्चिम के साथ तनाव को कम करने का एक प्रयास हो सकता है, भले ही यूक्रेन में युद्ध जारी हो। यह कदम यूरोप और नाटो देशों के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि उन्हें अब यह तय करना होगा कि वे इस नए एजेंडे पर क्या प्रतिक्रिया दें।
अब सवाल यह है कि क्या पुतिन इस न्यूक्लियर कार्ड का इस्तेमाल ट्रंप को उलझाने या उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए कर रहे हैं। ट्रंप के लिए यह एक बड़ा दांव है क्योंकि उन्हें पुतिन की चाल को समझना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका का हित सुरक्षित रहे। अगर ट्रंप इस जाल में फंसते हैं और यूक्रेन के मुद्दे को छोड़ देते हैं, तब यह अमेरिका के लिए एक बड़ी राजनयिक विफलता होगी।
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