जीएसटी पोर्टल में गड़बड़ी, व्यापारियों पर मंडरा रहा टैक्स का खतरा

भोपाल। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुए आठ साल हो चुके हैं, लेकिन इसके तकनीकी पोर्टल की समस्याएं अब भी समाप्त नहीं हुई हैं। उलटा, नए तरह की परेशानियों ने व्यापारियों की नींद उड़ा दी है। व्यापारी और करदाता डीआरसी-01 नोटिस का जवाब तय प्रक्रिया के अनुसार दे रहे हैं, लेकिन पोर्टल में वो जवाब रजिस्टर्ड ही नहीं हो रहा। ऐसे में विभाग एकपक्षीय कार्रवाई कर सकता है, जिससे अनुचित टैक्स की मांग निकलने का खतरा बना हुआ है।
जीएसटी के अंतर्गत जब टैक्स कम चुकाने या अनियमितता को लेकर विभाग डीआरसी-01 नोटिस जारी करता है, तो करदाता को इसका जवाब डीआरसी-06 फॉर्म में ऑनलाइन देना होता है। लेकिन बड़ी समस्या यह है कि जवाब देने के बाद भी वह पोर्टल पर रिकॉर्ड में प्रदर्शित नहीं हो रहा। इसका मतलब यह है कि करदाता भले ही सभी दस्तावेजों के साथ जवाब दे चुका हो, लेकिन विभाग को वह नहीं दिखता।

मनमानी टैक्स निर्धारण की आशंका
एमपी टैक्स ला बार एसोसिएशन ने इस गंभीर अव्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एसजीएसटी आयुक्त को ज्ञापन सौंपा है। संगठन के अध्यक्ष अश्विन लखोटिया का कहना है कि अगर यह समस्या जल्द दूर नहीं की गई, तो कई करदाताओं पर बिना सुनवाई के ही एकतरफा टैक्स आदेश जारी हो सकते हैं। इससे व्यापारियों की छवि को नुकसान पहुंचेगा और उन्हें अनावश्यक कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ेगा।

शिकायतों के बाद भी समाधान नहीं
करीब 8 दिन पहले कर सलाहकारों ने लिखित रूप में शिकायत दर्ज की थी, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं मिला है। विभाग की ओर से कहा गया है कि सभी व्यापारी जीएसटी पोर्टल के ग्रीवेंस सेल में अपनी समस्या दर्ज कराएं। परंतु अब तक ना तो पोर्टल पर कोई सुधार हुआ है और ना ही व्यापारियों को राहत मिली है। स्थानीय जीएसटी अधिकारियों का कहना है कि यह तकनीकी गड़बड़ी दिल्ली स्थित जीएसटी काउंसिल के अधिकार क्षेत्र में आती है। इसलिए समस्या का समाधान वहीं से होगा। फिलहाल मप्र के व्यापारी अनिश्चितता और असुरक्षा की स्थिति में हैं।