
रायपुर
राज्य में पुलिस और जांच एजेंसियों को अब किसी भी मामले में आरोपी के नार्को टेस्ट के लिए दूसरे राज्य नहीं जाना पड़ेगा, बहुज जल्द ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में नार्को एनालिसिस सेंटर खुलने जा रहा है। राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। एम्स प्रबंधन ने भी नार्को एनालिसिस सेंटर स्थापित करने में रूचि दिखाई है और उनका कहना है कि एम्स में सभी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध है, सेंटर स्थापित करने में कोई परेशानी नहीं होगी।
वर्तमान में पुलिस और जांच एजेंसियों को आरोपी के नार्को टेस्ट के लिए हैदराबाद जाना पड़ता है, जिसमें काफी समय लग जाता है। कई मामलों में कोई ना कोई बहानाकर आरोपी हैदराबाद जाने से मना भी कर देते हैं, जिससे जांच में पुलिस को मशक्कत करनी पड़ती है। नार्को टेस्ट का ज्यादातर उपयोग हाई प्रोफाइल मामले में ही किया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक नार्को टेस्ट के दौरान मालिक्यूलर लेवल पर आरोपी के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है। नींद जैसी अवस्था में अपराध के बारे में प्रमाणिक सत्य प्राप्त करने का प्रयास होता है। इंजेक्शन वाले पदार्थ की डोज आरोपी के लिंग, आयु, स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति के अनुसार तय होती है। नार्को टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान विशेषज्ञों द्वारा लगातार निगरानी की जरूरत होती है। ब्लड प्रेशर या पल्स गिर जाता है तो अस्थाई तौर पर आक्सीजन भी दी जाती है। नार्को टेस्ट में मनोचिकित्सक की महती भूमिका रहती है।
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