
इसमें घने जंगल और अंधेरे में भी देखने की क्षमता
श्रीहरिकोटा। अब तक के सबसे महंगे और सबसे ताकतवर अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट निसार को बुधवार को लॉन्च किया गया। इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शाम 5.40 बजे जीएसएलवी-एफ 16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया। ये रॉकेट निसार को 743 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली सन-सिंक्रोनस कक्षा में स्थापित करेगा, जिसका झुकाव 98.4 डिग्री होगा। इसमें करीब 18 मिनट लगेंगे। इस सैटेलाइट को नासा और इसरो दोनों ने मिलकर बनाया है।
निसार 747 किमी की ऊंचाई पर पोलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा। पोलर ऑर्बिट एक ऐसी कक्षा है जिसमें सैटेलाइट धरती के ध्रुवों के ऊपर से गुजरता है। इस मिशन की अवधि 5 साल है। निसार एक हाई-टेक सैटेलाइट है। इसका पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार है। ये सैटेलाइट 97 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेगा। 12 दिनों में 1,173 चक्कर लगाकर यह पृथ्वी की लगभग हर इंच जमीन को मैप कर लेगा। इसके पास बादलों, घने जंगल, धुएं और यहां तक कि अंधेरे में भी देखने की क्षमता देता है। यह धरती की सतह पर बहुत छोटे बदलावों को भी देख सकता है।
क्या है निसार मिशन का उद्देश्य
निसार मिशन का मुख्य उद्धेश्य है धरती और उसके पर्यावरण को करीब से जानना-समझना। ये सैटेलाइट खास तौर पर धरती की सतह या ग्लेशियर्स में कितना बदलाव हो रहा है, जैसे- जमीन का धंसना या बर्फ का पिघलना तथा जंगलों, खेतों और दूसरी प्राकृतिक जगहों की स्थिति को मॉनिटर करेगा, ताकि ये समझा जा सके कि पर्यावरण कैसा है। समुद्र की लहरों, उनके बदलावों और समुद्री पर्यावरण को ट्रैक करेगा। इन जानकारियों से वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरण को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे।
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