
भोपाल। मणिपुर-त्रिपुरा कैडर के आईएएस एमएल मीणा को हाईकोर्ट की जबलपुर बैंच से करारा झटका लगा है। आईएएस मीणा की वह याचिका निरस्त कर दी गई है, जिसके जरिए उन्होंने अपने मूल कैडर मणिपुर से दूसरे राज्य में ट्रांसफर की मांग की थी। उन्होंने याचिका दायर करते हुए कहा था कि दो विधायकों से मारपीट के कारण उनकी जान को खतरा है। हाईकोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन व जस्टिस डीके पालीवाल की युगलपीठ ने इस मामले में सुनवाई की।
दरअसल, आईएएस अधिकारी एमएल मीणा की ओर से दायर याचिका में अपने मूल कैडर मणिपुर से दूसरे राज्य में ट्रांसफर किए जाने की राहत चाही गई थी। याचिका में कहा गया था कि उनका वर्ष 2006 में मणिपुर में दो विधायकों द्वारा उनके साथ कथित मारपीट की गई थी। मणिपुर में उनकी जान को खतरा है और सुरक्षा कारणों से उन्हें मणिपुर में वापस भेजा जाना अनुचित है।
सुनवाई में कोर्ट ने क्या पाया
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि 2001 बैच के आईएएस अधिकारी मीणा का मूल कैडर मणिपुर-त्रिपुरा है। उनका स्थानांतरण पूर्व में मध्य प्रदेश कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें उनके मूल कैडर में वापस भेजने के आदेश जारी किए गए थे। वह विगत चार सालों से ड्यूटी से अनुपस्थित हैं, साल 2020 की आईबी रिपोर्ट में याचिकाकर्ता को मणिपुर में खतरा होने का कोई उल्लेख नहीं किया गया, जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
सरकार जिम्मेदारी तय करने के लिए स्वतंत्र
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि अधिकारी को किस स्थान पर कार्य करना है। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता पर कथित हमले के संबंध में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर भी संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि याचिका में किसी विधायक के विरुद्ध की गई एफआईआर नंबर, थाना या अन्य विवरण का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे पता चले कि आपराधिक मामला दर्ज भी हुआ था।
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