
किडनी डैमेज होने और आंखों की रोशनी जाने का है खतरा
नई दिल्ली। भारत में डायबिटीज (मधुमेह) एक आम समस्या बन गई है। पहले ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गों में होती थी, लेकिन अब ये बीमारी कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल रही है। डायबिटीज का कारण मोटापा, खराब खानपान और लाइफ स्टाइल है। डायबिटीज की वजह से दिल की बीमारी के साथ किडनी डैमेज और आंखों की रोशनी जा सकती है। अफसोस की बात यह कि भारत में करीब हर 10 में से 4 डायबिटीज के मरीजों को ये पता ही नहीं है कि उन्हें डायबिटीज की बीमारी है। ऐसा एक स्टडी से पता चला है।
डायबिटीज पर ये स्टडी 2017 से 2019 के बीच 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के 57,810 लोगों पर किए गए सर्वे पर आधारित है। स्टडी में पाया गया कि देश में 45 साल से ज्यादा उम्र के 20 फीसदी लोगों को डायबिटीज की बीमारी है। ये बीमारी पुरुष और महिलाओं दोनों में सामान रूप से बढ़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक शहरों में डायबिटीज के मामले ग्रामीण इलाकों से ज्यादा हैं। इसकी वजह है खराब लाइफ स्टाइल और खराब खानपान। भारत में 20 से 79 साल के लोगों में डायबिटीज के मामले दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं। साल 2019 में देश में हुई कुल मौतों में करीब 3 फीसदी मौतें डायबिटीज से हुईं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हाई ब्लडप्रेशर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अस्पतालों में जरूरी दवाईयां नहीं
आईसीएमआर, डब्ल्यूएचओ और अन्य संस्थानों के रिसचर्स ने हाल ही में 7 राज्यों के 19 जिलों में एक सर्वे किया, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए तैयार हैं। सर्वे में पाया कि केवल 10 में से 4 सब-सेंटर ही इन बीमारियों के इलाज के लिए तैयार थे। बाकी में जरूरी दवाएं तक नहीं थीं। 105 सब-सेंटरों में से करीब एक-तिहाई के पास मेटफॉर्मिन की कमी थी और करीब आधे (45) के पास एम्लोडिपिन (ब्लड प्रेशर) की दवा उपलब्ध नहीं थी।
डायबिटीज के लक्षण
ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, सिरदर्द, धुंधला दिखाई देना, थकान महसूस होना, चोट या घाव का धीरे-धीरे भरना, वजन कम होना, हड्डियों का कमजोर होना, बालों का सफेद और झडऩा।
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