धनखड़ का इस्तीफा : दिल्ली में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी

मोदी सरकार-भाजपा संगठन में होने वाला है बड़ा बदलाव

नई दिल्ली। बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर चल रही माथा-पच्ची के बीच उपराष्ट्रति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने देश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है। इसके बाद सत्ताधारी मोदी सरकार और भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव होने की अटकलें शुरू हो गई हैं। जगदीप धनखड़ ने ऐसे समय में पद छोड़ा है, जब भाजपा संगठन में अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करने को लेकर माथापच्ची करने में लगी हुई है। पार्टी को राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर ऐसा नेता चाहिए, जो 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी को तैयार कर सके। उस पर यह भी जिम्मेदारी होगी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार की उपलब्धियों को भी लोगों तक लेकर जा सके। बीजेपी का अगला अध्यक्ष वह व्यक्ति होगा जो संगठन को मजबूत कर सके और साथ ही साथ आरएसएस की विचारधारा पर भी पार्टी को लेकर चल सके।

बीजेपी के समक्ष दो बड़ी चुनौतियां
उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के बाद बीजेपी के सामने दो बड़ी चुनौतियां आ गई हैं। पहली तो यह है कि पार्टी अभी तक अपना अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई है, जिसमें अब बहुत देर हो चुकी है। दूसरी ये कि अब देश को एक नया उपराष्ट्रपति भी देना होगा, जिसके लिए अचानक परिस्थिति पैदा हुई है। खासकर दूसरे मामले में बीजेपी को एनडीए के सहयोगियों से तालमेल बिठाकर जरूरी होगा और उसे वह नजरअंदाज नहीं कर सकती।

सहयोगियों से तालमेल बहुत जरूरी
उपराष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी को ऐसे शख्स की आवश्यकता है, जो अनुभवी होने के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने का दम भी रखता हो। क्योंकि, 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ जैसे बड़े बिल आने की संभावना है। इसमें सरकार के लिए राज्यसभा के सभापति की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी और यह सरकार और बीजेपी के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगी। लेकिन, सबसे बड़ी बात ये है कि इस मामले में बीजेपी को अपने सहयोगियों खासकर टीडीपी और जेडीयू के साथ तालमेल बिठाना भी जरूरी होगा।

मोदी कैबिनेट में भी फेरबदल के आसार
इन सबके बीच मोदी कैबिनेट में फेरबदल होना भी तय है। कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल या मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है और कुछ मौजूदा मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जा सकता है। इन सब वजहों से सरकार और पार्टी के संगठन दोनों में बड़ा बदलाव होना तय है। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए माना जा रहा है कि पार्टी इन बदलावों पर जल्द ही अमल करेगी।