
भोपाल। भोपाल की मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर मप्र हाईकोर्ट जबलपुर के निर्देश पर दर्ज धोखाधड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए हाईकोर्ट के जांच के आदेश पर फिलहाल रोक लगाने के आदेश दिये है। बता दें कि सोमवार को हाईकोर्ट जबलपुर ने विधायक मसूद के इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज के मामले में तीन दिन में मामला दर्ज करने और एसआईटी जांच के निर्देश दिए थे। इस मामले में विधायक ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी।
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस जेके माहेश्वरी की बैंच ने सुनवाई की। कांग्रेस विधायक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा और वरुण तन्खा ने पक्ष रखा। विवेक तन्खा ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे कर दिया है। जानकारी के अनुसार सोमवार को हाईकोर्ट ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए कॉलेज की मान्यता हासिल करने के मामले में भोपाल पुलिस कमिश्नर को तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज कर इसकी जानकारी कोर्ट को देने के आदेश दिये थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भोपाल के कोहेफिजा थाने में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया गया था। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर आरोप हैं कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने कॉलेज की मान्यता ली थी। कोर्ट ने इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज में नए एडमिशन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
बता दें कि भोपाल के खानूगांव में स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज का संचालन अमन एजुकेशन सोसाइटी करती है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद इस सोसाइटी के सचिव हैं। इस मामले की शिकायत पूर्व भाजपा विधायक ध्रुवनारायण सिंह ने की थी। जांच के बाद आयुक्त उच्च शिक्षा ने माना कि अमन एजुकेशन सोसाइटी ने इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज के संचालन के लिए फर्जी दस्तावेजों पर एनओसी और मान्यता ली। इसके बाद कॉलेज की मान्यता रद्द की गई। हालांकि, छात्रों के हित को देखते हुए कोर्ट ने कॉलेज को जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन नए एडमिशन पर पूरी तरह रोक लगा दी।
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