
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि जगदीप धनखड़ ने सोमवार को दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की थी और अचानक रात को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके पीछे कोई रहस्य तो अवश्य है। उन्होंने मंगलवार को दावा किया कि इस्तीफा देने के पीछे उनके द्वारा बताए गए स्वास्थ्य कारणों के अलावा कोई और कोई गहरे कारण हैं। कांग्रेस ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ मानदंडों, मर्यादाओं एवं नियमों के प्रति बेहद सजग थे और उनका मानना था कि उनके कार्यकाल में इन नियमों की लगातार अवहेलना की जा रही थी। कांग्रेस नेता के इस दावे पर सरकार की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। धनखड़ ने सोमवार रात स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’पर लिखा,जगदीप धनखड़ ने दोपहर साढ़े 12 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति की अध्यक्षता की। कुछ चर्चा के बाद, कार्य मंत्रणा समिति ने शाम साढ़े चार बजे पुन: बैठक करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, शाम साढ़े चार बजे कार्य मंत्रणा समिति जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में पुन: एकत्रित हुई। बैठक में नड्डा और रीजीजू के आने का इंतज़ार हो रहा था। वे नहीं आए।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह सूचित नहीं किया गया था कि दोनों वरिष्ठ मंत्री बैठक में शामिल नहीं हो रहे और धनखड़ को इसका बुरा लगा तथा फिर उन्होंने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक मंगलवार दोपहर एक बजे के लिए पुनर्निर्धारित कर दी। रमेश ने दावा किया कि सोमवार अपराह्न एक बजे से शाम साढ़े चार बजे के बीच कुछ बहुत गंभीर घटना हुई जिसके कारण नड्डा और रीजीजू दूसरी कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में जानबूझकर अनुपस्थित रहे।
उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। कांग्रेस महासचिव ने कहा, धनखड़ जी ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते अहंकार की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम की जरूरत पर जोर दिया। मौजूदा ‘जी2’ सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि धनखड़ नियमों, प्रक्रियाओं और मर्यादाओं के पक्के थे लेकिन उन्हें लगता था कि उनकी भूमिका में लगातार इन बातों की अनदेखी हो रही है। रमेश ने कहा कि धनखड़ का इस्तीफा उनके बारे में बहुत कुछ कहता है और साथ ही यह उन लोगों की नीयत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, जिन्होंने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचाया था।
More Stories
शशि थरूर बोले- उपराष्ट्रपति वही होगा जिसे ‘वो’ चाहेंगे
कश्मीर के जंगलों में 3 दिन से चल रही सैन्य मुठभेड़ में 3 आतंकी ढेर
पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा