
नई दिल्ली। कमजोर मेटाबॉलिज्म (एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हमारा शरीर भोजन और पेय पदार्थों को ऊर्जा में बदलता है) केवल मोटापे को बढ़ावा नहीं देता, बल्कि थकान, तनाव और पाचन संबंधी दिक्कतों का भी कारण बनता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर मेटाबॉलिक रेट सही रहे, तो न सिर्फ वजन नियंत्रित रहता है, बल्कि शरीर ऊर्जावान और सक्रिय भी बना रहता है। मेटाबॉलिज्म को संतुलित बनाये रखने के लिये योग और आयुर्वेद बेहद सरल और कारगर उपाय हैं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, योग के कुछ आसन ऐसे हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और शरीर को अंदर से स्वस्थ रखने में मददगार साबित होते हैं। योग में कई ऐसे आसन हैं जो शरीर की विभिन्न मांसपेशियों को सक्रिय करते हैं और रक्त प्रवाह को संतुलित बनाए रखते हैं। कहा जा सकता है कि आज की भागदौड़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में योग न केवल शरीर को स्वस्थ बनाए रखने का साधन है, बल्कि मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त करके मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।
ये योगासन रखते हैं आपको स्वस्थ्य
बद्धकोणासन को नियमित करने से पैरों की मांसपेशियों में लचीलापन आता है और रक्त संचार बेहतर होता है। यह आसन निचले हिस्से की चर्बी घटाने में सहायक माना जाता है और शरीर में जमा हुए टॉक्सिन्स (जहरीले तत्व) को बाहर निकालकर मेटाबॉलिज्म को सक्रिय करता है। इसी तरह विपरीत करणी आसन, जिसमें दीवार का सहारा लेकर पैरों को ऊपर उठाया जाता है, मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह आसन तनाव घटाकर नींद को गहरी करता है और कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर घटाकर मेटाबॉलिज्म पर सकारात्मक असर डालता है। भुजंगासन, जिसे सर्प मुद्रा भी कहा जाता है, पेट के हिस्से पर सीधा प्रभाव डालता है। इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट की चर्बी कम होती है। जब पेट की चर्बी घटती है, तो मेटाबॉलिज्म अपने आप बेहतर होता है। साथ ही इस आसन से फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और ऊर्जा खर्च करने की गति तेज होती है। इसके लिये पवनमुक्तासन को भी बेहद प्रभावी माना गया है। यह आसन शरीर से गैस और अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। पाचन सही रहने पर शरीर पोषक तत्वों को तेजी से अवशोषित करता है, जो सीधे तौर पर मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाए रखता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन भी मेटाबॉलिज्म सुधारने वाले प्रमुख आसनों में से एक है। इस आसन को बैठकर करने से रीढ़ की लचीलापन बढ़ती है और आंतरिक अंगों पर दबाव पड़ता है। इससे लिवर और किडनी जैसे अंग ज्यादा सक्रिय होते हैं, जिससे डिटॉक्स प्रक्रिया तेज हो जाती है। जब शरीर से जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं, तो मेटाबॉलिक सिस्टम साफ होकर अधिक प्रभावी ढंग से काम करता है। इसके अलावा, ये आसन कमर के आसपास जमा फैट को कम करने में भी मदद करता है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है।
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