
– हाईकोर्ट में तुलनात्मक चार्ट पेश करेगी सरकार
भोपाल। मप्र के लाखों कर्मचारियों को 9 साल बाद मिली पदोन्नति की सौगात पर फिलहाल रोक लग गया है। अब 15 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है। हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट का आदेश आते ही पदोन्नति प्रक्रिया की फाइलें बंद कर अधिकारी पदोन्नति नियम के पक्ष में जवाब पेश करने में जुट गई है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से पदोन्नति के नए और पुराने नियमों की विस्तार से जानकारी लेने के बाद महाधिवक्ता कार्यालय (एजी ऑफिस) दोनों नियमों में अंतर के संबंध में तुलनात्मक चार्ट तैयार किया है। दोनों नियमों में अंतर संबंधी तुलनात्मक चार्ट को 15 जुलाई को होने वाली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार हाईकोर्ट के आदेश पर मप्र सरकार ने कर्मचारियों की पदोन्नति के पुराने नियम (वर्ष 2002) और नए नियम (वर्ष 2025) में अंतर संबंधी तुलनात्मक चार्ट तैयार कर लिया है, जिसे 15 जुलाई को हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। तुलनात्मक चार्ट के साथ वर्ष 2016 के बाद पदोन्नति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी आदेशों को भी संलग्न कर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा, ताकि सरकार का पक्ष और मजबूत हो सके। प्रदेश के 5 लाख कर्मचारियों की निगाहे मंगलवार को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर रहेंगी।
पदोन्नति के नियमों में करीब 20 अंतर
सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2002 और वर्ष 2025 के पदोन्नति के नियमों में करीब 20 अंतर है, जिनके आधार पर तुलनात्मक चार्ट तैयार किया गया है। इनके संबंध में विस्तृत जानकारी महाधिवक्ता कार्यालय (एजी ऑफिस) को दे दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में भी एजी ऑफिस को इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई थी, पर वह 7 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट में अपनी बात ठीक से नहीं रख पाया। बता दें कि नए पदोन्नति नियमों के विरोध में कुछ कर्मचारी हाईकोर्ट चले गए थे। गत 7 जुलाई को कर्मचारियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की पदोन्नति प्रक्रिया पर अगली सुनवाई (15 जुलाई) तक रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई में वर्ष 2002 और 2025 के पदोन्नति नियमों में अंतर संबंधी तुलनात्मक चार्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर सभी विभागों ने विभागीय पदोन्नति समिति की बैठकें रोक दी हैं।
इन नियमों के विरोध में हाईकोर्ट गए
मप्र सरकार ने कर्मचारियों की पदोन्नति पर नौ साल से लगी रोक हटाने के लिए जून में मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 को मंजूरी दी है। सपाक्स के नेतृत्व में अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पदोन्नति के नए नियमों में एससी-एसटी वर्ग के लिए क्रीमीलेयर का सिद्धांत लागू नहीं करने, एससी-एसटी वर्ग को 36 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद उन्हें अनारक्षित वर्ग के लिए बची सीटों पर मेरिट के आधार पर पदोन्नत करने पदोन्नति में एफिशिएंसी टेस्ट का प्रावधान नहीं किए जाने जैसे नियमों के विरोध में हाईकोर्ट गए है। पदोन्नति के नए नियमों में जो प्रमुख प्रावधान किए गए हैं उनमें पदोन्नति के लिए रिक्त पदों को एससी 16 प्रतिशत), एसटी (20 प्रतिशत) और अनारक्षित में बांटा जाएगा। पहले एससी-एसटी के हिस्से वाले पद भरे जाएंगे। फिर अनारक्षित पदों पर एससी-एसटी से लेकर सभी दावेदार पात्र होंगे। क्लास अधिकारी के लिए लिस्ट मेरिट कम सीनियोरिटी के आधार पर, जबकि क्लास-2 और नीचे के पदों के लिए सीनियोरिटी कम मेरिट के आधार पर दावेदारों की सूची बनेगी। पूर्व में प्रमोशन पा चुके कर्मचारियों को रिवर्ट नहीं किया जाएगा, न रिटायर्स कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। पदोन्नति से भरे जाने वाले हर संवर्ग के पद अलग से तय होंगे। डीपीसी में एससी-एसटी वर्ग का एक-एक अधिकारी शामिल होगा।
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